वो प्यार ही क्या जो प्यार को किसी का बंधक बना दें, उस चाहत में है यकीं हमारा जो मुझको और तुझको, काश कोई मुक्त होकर जीना सीखा दे।
रफ्तार जिंदगी की इतनी बढ़ गई है ऐ मेरे दोस्त, लगता है वक्त के साथ हर वक्त बदलता है इंसान,
काश कोई मुझको भी रिश्तों को किश्तों में जीना सीखा दे।
हर चाह दूर हो रही मुझसे, कभी-कभी ये लगता है,
अपने ही परायों की भूमिका अदा करते है,बुरे चेहरे पे अच्छा चेहरा कैसे लगा के जीते है सब, काश कोई इस हुनर से मुझको भी जीना सीखा दे।
हालात कभी तो तर्जुबों को भी मात देने लगते है,
ऐसा लगता है हाथों से खुशी फिसल जाती है दोस्त,
सदियों से खड़ी हूँ उन्ही पुरानी राहों पर, काश कोई उँगली पकड़ कर मुझको भी चलना सीखा दे।
करती हूँ इंतजार हर सुबह उस इंद्रधनुषी सपने का,
जो सुबह-अंधेरे देखते ही पूरे हो जाते थे, ये सुना था अब तक, काश कोई
मुझको भी झूठे सपनों में जिंदगी बिता देना सीखा दे।
कसौटियाँ देती आई हूँ हर पल, हर घड़ी, जज्बातों को कभी रोका कभी कुर्बान किया है, चीखती है मेरी भावनाएँ और कहती है, काश कोई सूली कैसे चढ़ा जाये वो मुझको भी सूली चढ़ना सीखा दे।
जोर नही चला पाती हूँ अपनी ही ख्वहिशों पर ,कदम-दर-कदम बस निशां देखती हूँ अपने,
सोचती हूँ, काश कोई मुझको भी इन बेरहम हालातों से डटकर लड़ना सीखा दे।
# सरितासृजना