मेरा आशिय़ाँ तेरे शोर का मोहताज है आज,
ऐ हवाओं में गुम होनेवाली,
मेरे घर का हर शख्स उदास है आज।
#सरितासृजना
26 रविवार नवम्बर 2017
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inमेरा आशिय़ाँ तेरे शोर का मोहताज है आज,
ऐ हवाओं में गुम होनेवाली,
मेरे घर का हर शख्स उदास है आज।
#सरितासृजना
25 शनिवार नवम्बर 2017
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inये कैसी विड़बना है जीवन की,
मरनेवालों के साथ मरा भी नही जाता,
खोनेवालों के साथ खोया भी नही जाता,
मगर ये सच है यारों,
अपनों के बगैर जिया भी नही जाता।
#सरितासृजना
18 शनिवार नवम्बर 2017
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inआँखे बोलती है,वो अन्तस के भेद खोलती है,
कभी हल्की,कभी भारी एक बोझ समेटती हुई,
कितनी ही गहराईयों को सहेजती हुई,
आँखे बोलती है, वो अन्तस के भेद खोलती है।
जो छुपाना है अपने अंदर का तूफान
बंद कर लो इन्हें,व्यक्त ना होने पाये,
मन की पीड़ायें,भावनाएँ और अनकही लालसाएँ,
क्योंकि,
आँखे बोलती है, वो अन्तस के भेद खोलती है।
राग-द्वेष,ईष्या सब नजर आ जाते है इनमेँ,
दु:ख और खुशियों के आँसू छलक आते है इनमें,
यह मौन रहकर भी सबकुछ जता जाती हैं।
कभी करुणा के भाव, कभी दया को दर्शाती है,
चिर-परिचित सा आभास कभी,कभी अनोखापन,
सिहरन और कंपन का भी ,कभी आभास करा जाती है।
पता है !
आँखे बोलती है , वो अन्तस के भेद खोलती है।
#सरितासृजना
02 गुरूवार नवम्बर 2017
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inदर्द ने सबको सताया ,
खुशी और सुँकून की तलाश है।
ज़िदगीं की मुश्किलें चक्रव्युह के समान,
जिसे तोड़ने को एक “अभिमन्यु” की तलाश है।
#सरितासृजना
02 गुरूवार नवम्बर 2017
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inआँसुओं के साथ मुस्कुराना सीख ले ऐ ज़िदगीं,
नम हुई आँखों का क्या जवाब दें हम दुनिया को।
#सरितासृजना