“ईद”
25 रविवार जून 2017
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in25 रविवार जून 2017
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in21 बुधवार जून 2017
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in“अपराधबोध” जैसी स्थिती हमारे जीवन में कभी ना कभी उत्पन्न हो ही जाती है ।कभी हालात, कभी मनुष्य,या कभी कोई पशु या पक्षी को लेकर। आज मेरे मन में भी एक अपराध का भाव जन्मा है।अपने पालतू मादा पोपट को लेकर।कलम ने कहा “आओ ,अपने मन की पीड़ा को शब्दों का रुप दे दो”,”थोड़ा सा “अपराधबोध” शायद कम हो जाय”।उसी संदर्भ में कुछ पंक्तियाँ लिख रही हूँ।
वो जब चुपचाप सी आसमान को तकती है। मेरे दिल में एक अपराध की कसक सी उठती है।क्या गुनाह है उसका? बस इतना सा कि वो,इंसानों की नकल करती है।
छटपटाती है वो, उड़ना चाहती है वो,मगर लोहे के पिंजरें में उसकी सारी मेहनत विफल हो जाती है।
थककर,अपने आप से कहती है वो शायद, चल कल फिर कोशिश करुँगी हो सकता है आजाद हो जाऊँ ।यही रोज वो खुद को समझाती है।
मैं रोज देखती हूँ यह सब, तब एक “अपराधबोध” उभर आता है मन में, मैं एक कठोर मनुष्य हूँ।यह कहकर मेरा अंर्तमन मेरे वजूद को थप्पड़ लगा जाता है।
जानती हूँ ,समझती हूँ फिर भी अपने मन बहलाव के लिए,इंसानों की तरह इंसान बनकर मैं भी चुप रह जाती हूँ ।उसकी आँखों के सवालों से मन घबरा जाता है।
मुझको माफ करना ऐ मासूम से परिदें,तुझको कैद करने और प्यार करने की रीत तो सदियों से चली आई है।मैने तो तुझको कैद करकर,इस जमाने की रस्म को बड़ी ही दरियादिली से निभाई है।
#सरितासृजना
19 सोमवार जून 2017
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inकोई बात नही खुशी ना सही
गम को ही हम तो दामन में समेट लिया करते है
आसमां गर ना दे पनाह हमको
हम तो है “खानाबदोश” किसी के भी दिल में गुज़र कर लिया करते है।
हवाओं में खुशबू बनकर हम तो ऐ जानिब
उनकी साँसों में जिदगीं अपनी हम तो बसर कर लिया करते है।
र्दद को राहत कभी मिलती नही इसका है यकीं
जहर को भी दवा समझ हम तो पी लिया करते है
धड़कता है सीने में दिल हमारे कुछ इस तरह से
बस तेरे नाम से घड़ी-दर-घड़ी हम तो जी लिया करते है।
लोगों को है गुरुर अपनी रियासतों और रुतबों का
हमारा क्या यारों,
हम तो अपने फाकों पर भी फ़क्र कर लिया करते है।
#सरितासृजना
15 गुरूवार जून 2017
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in1) बहुत जरुरी है जीवन में अच्छे दोस्तों का होना और बहुत जरुरी है जीवन में अच्छे दुश्मनों का होना भी।
2)आकाँक्षाए ,इच्छाएँ दूसरों से ना रखें । वो जब पूरी नही होती तब,हम उदास और निराश हो जाते है।
3) रुप और सौर्दंय एक समय के बाद ढल जाते है। हमें अपने कर्म को निखारने में ज्यादा मेहनत करनी चाहिए।कर्म समय के साथ ढलता नही और निखरता जाता है।
#सरितासृजना
12 सोमवार जून 2017
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in08 गुरूवार जून 2017
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inकोई गम नही कि मेरे साथ
कोई भी नही है।
दिल को मेरे सुँकुन ऐ “सरिता”
मेरा मैं और मैँ मेरे साथ है।
#सरितासृजना
07 बुधवार जून 2017
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in1) अतीत को भुलाकर
वर्तमान में जिएँ
भविष्य को स्वीकार करें।
2) माँगे हुए सम्मान में और
मिले हुए सम्मान में
बहुत फर्क होता है।
माँगी गई चीज भीख होती है
मिली हुई चीज वरदान होती है।
#सरितासृृजना
06 मंगलवार जून 2017
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inअंबर से बरस रहा है देखो “पानी”।
इस प्यासी धरती की प्यास बुझा रहा है देखो “पानी”।
जीवन में अपनी महत्ता को समझा रहा है देखो “पानी”।
इंसा को कद्र नही उसकी इस बात को भी बता रहा देखो “पानी”।
कमी मेरी हो जायेगी तब तरसोगे ये भी जता रहा है देखो “पानी”।
सहेज लो मुझे ,संचय कर लो मुझे बार-बार यही दोहरा रहा है देखो “पानी”।
मुझसे ही जीवन है ये ना भुलो, ऐ इंसानों हर बार यही याद दिला रहा है देखो “पानी।”
#सरितासृजना
05 सोमवार जून 2017
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inमुझको बडा परेशान कर जाती है
जिदगीं की ये मुश्किलें
क्या बताऊँ दोस्तों , मुझको
कितना हैरान कर जाती है ये मुश्किलें।
मुस्कुराहटों पर जब देखो तब
मेरे आकर ,पहरे लगा जाती है ये मुश्किलें
क्या बताऊँ दोस्तों ,मुझको
मेरी नींद से हर रात जुदा कर जाती है ये मुश्किलें।
मेरी खुशियाँ तरस जाती है मुझको
उनको कोसों दूर मुझसे कर जाती है ये मुश्किलें
क्या बताऊँ दोस्तोँ ,मुझको
भीड़ में अक्सर अकेला सा कर जाती है ये मुश्किलें
कहना जब भी चाही मन की बात
कुछ अलग रुप मेँ आ जाती है ये मुश्किलें
क्या बताऊँ दोस्तों , मुझको
अलग-अलग अपने अंदाज दिखा जाती है ये मुश्किलें।
#सरितासृजना
03 शनिवार जून 2017
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inसोचा जमाने में बडी लूटपाट मची हुई है
महोब्ब्त कर लेते है यार,प्यार की दौलत को कौन लूट पायेगा।
खबर न थी मुझको तो मेरा यार ही दगा दे जायेगा।
बडा संभाला था अपनी चाहतों को,
छुपाकर रखा था अपनी ख्वाहिशों को,
खबर न थी हमको ये सच बताएं,
भरी महफिल में ही मुझको मेरा यार रुसवा कर जायेगा।
अब तो झोली खाली-खाली सी है अरमानों की,
दुआँओं की आज बहुत जरुरत है मुझको ऐ मेरे मालिक,
खबर क्या थी हमको कि मेरा यार ही मुझको बद्दुआ दे जायेगा।
#सरितासृजना