ज़िदगीं 16 मंगलवार जनवरी 2024 Posted by pandeysarita in Uncategorized ≈ एक टिप्पणी छोड़ें जरा ठहर-ठहर कर ग़ुजर ऐ ज़िदगीं, तेरे साथ हर पल को जीना है।