ईद होगी मुक्कमिल उस घड़ी ,उस सहर ऐ मेरी जानिब,

जिस घड़ी इक तरफ चाँद,इक तरफ मेरे यार का दीदार 

मुक्कमल हो जाय।

ईदी में क्या चाहिए ये पूछना ना हमको ऐ मेरी जानिब,

कहीं मेरी चाहत ,तुमको तुमसे ही उम्रभर को ना माँग ली जाय।

#सरितासृजना