ढुँढ़ने निकली हूँ “खुद” को

शायद कहीं “खुद” से मुलाकात हो जाय।

अभी है दाँस्ता अधूरी मेरी,
हो सकता है लोगों के दिलों में कहानी मेरी,

इक दिन ,एक खुबसूरत दाँस्ता बन जाय।

#सरितासृजना