हवा सी हुँँ मैंं आगोश मेंं ना भर सकेगा तू
यहाँँ-वहाँँ निकल जाऊँँगी सिर्फ महसूस कर सकेगा तू
रेत सी हुँँ मैंं मुठ्ठी मेंं ना भर सकेगा तू
फिसल जाऊँँगी हाथोंं से
कैद ना कर सकेगा तू
याद सी हुँँ मैंं मुझको हमेशा याद रखेगा तू
तकदीर सी हुँँ मैंं मेरी हमेशा फरियाद करेगा तू
सुबह सी हुँँ मैंं हो जाऊँँ जल्दी चाहेगा तू
गीत सी हुँँ मैंं मुझको हमेशा गुनगुनायेगा तू
सपने सी हुँँ मैंं हरपल देखना चाहेगा तू
इक भ्रम सी भी हुँँ मैंं बन जाऊँँ हकीकत चाहेगा तू
अनमोल सी हुँँ मैंं हिफाजत से रखना चाहेगा तू
तेरी जिंंदगी हुँँ मैंं क्या मुझसे मिलना चाहेगा तू
#सरितासृृजना
poemsbyarti ने कहा:
सुंदर…
बस एक सुधार की आवश्यकता है..
‘हुँ’ न लिखते हुए, शुद्ध वर्तनी ‘हूँ’ लिखिए..😊
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pandeysarita ने कहा:
ओह , धन्यवाद
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bhaatdal ने कहा:
Ap Bahut sunder ho , apni abhivyakti karna bahut mushkil hota hai par apne bakhoobi likha hai ise .. nice
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pandeysarita ने कहा:
जी बहुत ,बहुत धन्यवाद
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Jayesh Goswami ने कहा:
Nyc
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Rohit Nag ने कहा:
Jabardast…..bht khoob
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J Swethagodawari ने कहा:
Very very nice 👌
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pandeysarita ने कहा:
Thanks
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Ravindra Kumar Karnani ने कहा:
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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pandeysarita ने कहा:
जी बहुत आभार
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