हवा सी हुँँ मैंं आगोश मेंं ना भर सकेगा तू

यहाँँ-वहाँँ निकल जाऊँँगी सिर्फ महसूस कर सकेगा तू

रेत सी हुँँ मैंं मुठ्ठी मेंं ना भर सकेगा तू

फिसल जाऊँँगी हाथोंं से

कैद ना कर सकेगा तू

याद सी हुँँ मैंं मुझको हमेशा याद रखेगा तू

तकदीर सी हुँँ मैंं मेरी हमेशा फरियाद करेगा तू

सुबह सी हुँँ मैंं हो जाऊँँ जल्दी चाहेगा तू

गीत सी हुँँ मैंं मुझको हमेशा गुनगुनायेगा तू

सपने सी हुँँ मैंं हरपल देखना चाहेगा तू

इक भ्रम सी भी हुँँ मैंं बन जाऊँँ हकीकत चाहेगा तू

अनमोल सी हुँँ मैंं हिफाजत से रखना चाहेगा तू

तेरी जिंंदगी हुँँ मैंं क्या मुझसे मिलना चाहेगा तू

#सरितासृृजना