अल्हड़ हूँ मैं , मुझको अल्हड़ ही रहने दो
क्युँ चाहते हो ऐ दुनियावालों ,कि मैं तुम सी समझदार बनूँ।

गर मैं नासमझ हूँ तो क्या हुआ
क्या हुआ अगर मैं तंगहाल सही
क्या हुआ अगर मुझको इस तंगदिल
दुनिया से कोई सरोकार नही,अल्हड़ हूँ मैं मुझको……

अच्छा ही तो है कि ना सीखूँ मैं बेईमानी
अच्छा ही तो है कि ना करुँ मैं धोखेबाजी
और सबसे अच्छा है कि ना दुखाऊँ मैं
दिल किसी गरीब और लाचार का,अल्हड़ हूँ मैं मुझको…..

समझदार और बडे ओहदेदारों की क्या कमी है
इस जहाँ में,चलाते है सारे सिस्टम को जो अपनी
उँगलियों पर,नचाते है समाज को हर घड़ी इशारों पर,
अल्हड़ हूँ मैं मुझको…….

जमाने तेरी हर फितरत से वाकिफ हूँ मैं
मगर मेरे अंदर छुपी इंसानियत से नावाकिफ है तू
एक यही दौलत है मेरे पास सिर्फ इक मेरी
किसी भी शर्त पर मैं, यह तुझपे लुटाने को तैयार नही । अल्हड़ हूँ मैं मुझको…….

#सरितासृजना