रिश्तों के धागे कभी कमजोर दिखते,
कभी, मजबूत नजर आते है।
निर्णयों की घड़ी में कभी अपने दिखते,
कभी, अपने पराये नजर आते है।
जब चाहिए होता एक सबल सहारा,
इक ओर हम, इक और लोग नजर आते है।
पल में अनजान बन जाता कोई अपना,
और कभी,पल में पराये अपने से नजर आते है।
बदलती है किस्मत, या बदल वक्त जाता है,
लोग कभी-कभी, हतप्रभ से नजर आते है।
#सरितासृजना
NAREN ने कहा:
सत्य ,,, खूब सही फ़रमाय .. सुन्दर रचना
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pandeysarita ने कहा:
आभार
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Madhusudan Singh ने कहा:
Bahut khub …..satya kahaa aapne.
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pandeysarita ने कहा:
धन्यवाद
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Rupali ने कहा:
sundar.
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WordsOfDepth ने कहा:
Very true
Lovely
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pandeysarita ने कहा:
thanks
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Confused Thoughts ने कहा:
Bhut Sundar
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pandeysarita ने कहा:
Thanks
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Rohit Nag ने कहा:
Wow i can feel every words of this poem……bahut hi khoobsurat
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pandeysarita ने कहा:
Thanks 🙏
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