ना हिंन्दु रहना चाहती हूँ
ना मुसलमां रहना चाहती हूँ
मैं तो बस फकत इक इसां रहना चाहती हूँ।
ना कोई जमीं चाहती हूँ
ना आसमाँ चाहती हूँ
मैं तो बस फकत अपनों
के दिलों में रहना चाहती हूँ।
ना ताज चाहती हूँ
ना राज चाहती हूँ
मैं तो बस फकत ऐ हमवतनों आपका प्यारा साथ चाहती हूँ।
#सरितासृजना
अजय बजरँगी ने कहा:
वाह बहुत खूब 😊😊😊
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Abhay ने कहा:
उम्दा लिखा सरिता जी आपने 👏
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pandeysarita ने कहा:
धन्यवाद
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sapnaahirwar ने कहा:
Bahut khub
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pandeysarita ने कहा:
शुक्रिया
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Dilkash Shayari ने कहा:
क्या बात है सरिता जी बेहद खूब
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pandeysarita ने कहा:
शुक्रिया
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Dilkash Shayari ने कहा:
Welcome.
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Sunny Kumar ने कहा:
Bahoot acchhe..
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pandeysarita ने कहा:
शुक्रिया
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gauravtrueheart ने कहा:
बहुत ही अच्छा कहा है आपने।
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pandeysarita ने कहा:
धन्यवाद
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vermajikablog.com ने कहा:
बहुत सटीक लिखा है
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pandeysarita ने कहा:
धन्यवाद
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vermajikablog.com ने कहा:
☺
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