आज भी जब तेरी गली से गुजरते है हम
तेरा दीदार अब हम नही करते ,क्योंंकि
कसम खा ली थी ना उस दिन हमने, इसकर
जा तेरे हुस्न का सदका मेरे सरकार ,अब हम नही करते।
नजरेंं चुराकर निकल जाते थे तुम अक्सर, जाओ तुमसे
नजरेंं दो-चार अब हम नही करते।
कई बार हमने किया था तेरा इंंतजार,पर बस
जा तेरा इंंतजार अब हम नही करते।
हमारे भरोसे का दामन छोडा था तुमने कई बार,इसकर
जा तेरे वादोंं पे एतबार अब हम नही करते।
कहाँँ दामन को संंभाला था हमारे तुमने
पर प्यार मेंं वफा की है हमने, इसलिए
जा तेरे साथ बेवफाई का सितमअब हम नही करते।
#सरितासृृजना
अजेय अज्ञानी ने कहा:
बहुत शानदार रचना 💐
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pandeysarita ने कहा:
शुक्रिया
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Sunny ने कहा:
Mam, bhaw acche hai par pahli pankti mein आज भी जब तेरी गली से गुजरते है हम ki jagah “Ab jab teri gali se gujarte hai hum” likhiye….
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Confused Thoughts ने कहा:
अच्छा है! क्षमा चाहूँगा वफा बेवफाई की बातें कभी समझ नहीं आती या फिर मुझे विश्वास नहीं है ! 😊
मगर आपने अच्छा लिखा है !
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pandeysarita ने कहा:
जो बातें समझ से परे हो वो बातें उनके लिए छोड दें जिन्हें समझ आती है
तारीफ के लिए शुकिया
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Pawan Belala ने कहा:
उम्दा।
एक और लाजवाब रचना।
👌👍
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pandeysarita ने कहा:
Thanks
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kukarmi_vishesh ने कहा:
कुछ वक़्त ही यूँ था, कुछ बंधन ही ऐसे थे,
कि जाने देना ही बेहतर था…
नज़रें नम करने से, पलके तर करने से,
नज़रें चुराना ही बेहतर था…
शानदार लिखा है… 😊
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pandeysarita ने कहा:
शुक्रिया
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gauravtrueheart ने कहा:
सुन्दर रचना
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pandeysarita ने कहा:
धन्यवाद
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elizarudolf ने कहा:
Nice post…. ☺
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pandeysarita ने कहा:
Thanks
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mukansu kumar ने कहा:
उम्दा…..
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pandeysarita ने कहा:
आभार
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