जिन नयनोंं से बरसे प्रेमरस ,

वो नयन, श्याम तुम्हारे ही होगेंं।

बेबस है हम तो कान्हा, ये जनम तो क्या,

हम हर जनम तुम्हारे ही होगेंं।

ना राधा सा समर्पण मुझमेंं,

ना मीरा सी भक्ति ,त्याग 

ना प्रेमिका,ना कोई मैंं जोगन,

पर मुख से निकले हर शब्द तुम्हारे ही होगेंं।

जग ने जाना उसको, जिसने पहचाना तुमको,

तेरी सूरत से प्यारे क्या और नजारे होगेंं,

अलपक देखेंं आँँखेंं,चहुँँ ओर ,चहुँँ दिशा

हर ओर गिरधारी ,नाम के नारे ,तुम्हारे ही होगेंं।

जीवनभर राह तकूँँ मैंं, तुम्हारी बंंसीधर,

मिलना जाने ना हो, कितने युगोंं तक,

जो भी होता इस धरती पर,

वो उँँगली के सारे इशारे ,घनश्याम तुम्हारे ही होगेंं।

#सरितासृृजना