जिन नयनोंं से बरसे प्रेमरस ,
वो नयन, श्याम तुम्हारे ही होगेंं।
बेबस है हम तो कान्हा, ये जनम तो क्या,
हम हर जनम तुम्हारे ही होगेंं।
ना राधा सा समर्पण मुझमेंं,
ना मीरा सी भक्ति ,त्याग
ना प्रेमिका,ना कोई मैंं जोगन,
पर मुख से निकले हर शब्द तुम्हारे ही होगेंं।
जग ने जाना उसको, जिसने पहचाना तुमको,
तेरी सूरत से प्यारे क्या और नजारे होगेंं,
अलपक देखेंं आँँखेंं,चहुँँ ओर ,चहुँँ दिशा
हर ओर गिरधारी ,नाम के नारे ,तुम्हारे ही होगेंं।
जीवनभर राह तकूँँ मैंं, तुम्हारी बंंसीधर,
मिलना जाने ना हो, कितने युगोंं तक,
जो भी होता इस धरती पर,
वो उँँगली के सारे इशारे ,घनश्याम तुम्हारे ही होगेंं।
#सरितासृृजना
Amit Misra ने कहा:
बहुत सुंदर रचना है ।
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pandeysarita ने कहा:
जी धन्यवाद
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NAREN ने कहा:
वाह लाजवाब
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pandeysarita ने कहा:
जी शुक्रिया
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raiatul343 ने कहा:
वाह…राधे-राधे।
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gauravtrueheart ने कहा:
राधे राधे ।सुन्दर रचना
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pandeysarita ने कहा:
जी धन्यवाद
जय श्री कृष्ण
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Sunny ने कहा:
वाह क्या खुबसूरत, नेक भाव है…सम्पूर्ण समर्पण
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pandeysarita ने कहा:
जी धन्यवाद
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Hemu Saini ने कहा:
बहुत खुब लिखा हैं आपने… ना राधा सा समर्पण मुझमेंं, ना मीरा सी भक्ति ,त्याग…
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pandeysarita ने कहा:
जी धन्यवाद
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hrekrsna ने कहा:
बहुत ही सुदंर वर्णन 👏🏻👏🏻
एक भरोसो एक बल एक आस बिस्वास
एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास ।
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pandeysarita ने कहा:
धन्यवाद
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