मौसम का मिजाज आज उदास सा क्यूँँ है

दोपहर को शाम का अहसास सा क्यूँँ है

भरा -भरा मन पर खाली गुमान सा क्यूँँ है

पलकोंं पर नमी होने का अहसास सा क्यूँँ है

पा लिया तुमको फिर भी ये भरम सा क्यूँँ है

लबोंं पर मेरे तेरे लफ्जोंं का, एहसान सा क्यूँँ है?

#सरितासृृजना